डॉ पायल तडवी आत्महत्या | बीवाईएल नायर अस्पताल | जातिवाद | दलित | आदिवासी |


डॉ पायल तडवी आत्महत्या | भारतीय समाज कि जाती व्यवस्था इंसानियत के लिए खतरा |





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भारत को विभिन्नताओ में एकता वाला देश माना जाता हैं । यहाँ पर हर धर्म, जाति व संस्कृति वाले लोग निवास करते है और मिल जुलकर भी रहते हैं । लेकिन आज के समय की बात करे तो देश में जातिवाद का जहर उगलता जा रहा है । जैसे-जैसे देश विकास की ओर अग्रसर होता जा रहा हैं वैसे-वैसे जातिवाद का प्रकोप बढ़ता जा रहा हैं। देश में जातिवाद प्रत्येक धर्म, समाज और देश में है । हर धर्म का व्यक्ति अपने ही धर्म के लोगों को ऊंचा या नीचा मानता है। और आए दिन भेदभाव वाली घटनाएं देखने को मिल जाती हैं। आज के समय में राजनीति में भी जातिवाद को बढ़ावा मिल रहा हैं । और इसके जरिये कुछ लोग जातिवाद की राजनीति करना चाहते हैं इसलिए वह जातिवाद और छुआछूत को और बढ़ावा देकर समाज में दीवार खड़ी करते हैं और ऐसा भा रत में ही नहीं दूसरे देशों में भी होता आ रहा है ।


वर्तमान में दुनियाभर में राजनीतिक और धार्मिक समीकरण बदले हैं । भारत में लंबे समय से ही सांप्रदायिक और जातीवाद का एक राजनीतिक मुद्दा उभर कर रहा है लेकिन आजादी के बाद इसे और भी ज्यादा बढ़ावा दिया गया। आज हर क्षेत्र में जातिवाद को बढ़ावा मिल रहा है चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या रोजगार के क्षेत्र में ।
हिन्दू समाज के दलितों पर राजनीति करके समाज में फूट डालने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है । देश में हर जगह दलितों व आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। और समाज में इन्हें नीचा दिखाने की कोशिश होती रही है । भारत देश को धर्मनिरपेक्ष देश माना जाता है लेकिन धर्मनिरपेक्षता का अर्थ चाहे कुछ भी हो लेकिन इस देश में कभी भी धर्मनिरपेक्ष राजनीति नहीं हुई है । धर्मनिरपेक्ष दलों ने सबसे ज्यादा जातिवादी राजनीतिक की है । चाहे वह सरकारी संस्थाओं में हो या समाज में हर जगह उनको राजनीति का एजेन्डा बनाकर उपयोग में लिया जाता हैं । वर्तमान समय में इनके साथ अत्याचार बढ़ता ही जा रहा हैं । कई उदाहरण हमको देखने को मिल जायेंगे जो पुरे देशवाशियों को शर्मिंदगी महसूस करा रहा है- आए दिन समाज की उच्च जातियों द्वारा दलितों को उनकी शादी में घोड़ी से उतार देना तो आज के समय में आम बात हो गई हैं ।

अभी ताजा घटना का जिक्र किया जाए तो मुंबई स्थित बीवाईएल नायर अस्पताल की 26 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्टर पायल तड़वी ने बीती 22 मई को अपने कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी । पायल के आदिवासी समुदाय से होने के कारण उनके कुछ सीनियर उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे थे । वे उनके लिए बार-बार जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते थे । आदिवासी समुदाय से आने वाली डॉ पायल तड़वी ने इसी अस्पताल के कुछ डॉक्टरों की जातिगत टिप्पणियों से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी । दुसरी घटना का जिक्र किया जाए तो पिछले दिनों बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति और जनजाति छात्राओं से जबरन शौचालय साफ कराने का मामला सामने आया था । यह मामला महिला महाविद्यालय से जुड़ा है। घटना मार्च 2019 की है, तब महिला महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में कोई संगोष्ठी थी । उसी दौरान विभाग की दो प्राध्यापिकाओं ने सफाईकर्मी के रहते हुए दो शोध छात्राओं से जबरन शौचालय साफ करवाया। इन दो छात्राओ में से एक अनुसूचित जाति और दूसरी अनुसूचित जनजाति की है।
                                                                                 प्रकरण का खुलासा हुआ तब जब उसी महाविद्यालय में कार्यरत एक गैर शिक्षण कर्मचारी ने उस प्राध्यापिका के खिलाफ नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल ट्राइब्स के अध्यक्ष से शिकायत की । ऐसी कई घटनाएं मिल जायेगी जो आज के समाज को गन्दा करने में लगी हुई हैं । जब तक ऐसे मामले समाज से हटेंगे नही तब तक समाज पिछड़ता जायेगा और आने वाली पीढ़ी के लिए ये खरनाक साबित होता हुआ नजर आयेगा ।


लेखक: दीपक बजिया छात्र ( एम.ए जनसंचार) राजस्थान

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