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छत्तीसगढ़ का हरेली त्यौहार 

छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार गरिमा दिवाकर व साथी 

हरेली का त्यौहार ( तिहार ) मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में किसानो द्वारा मनाया जाता है यह त्यौहार सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है व सारे बुरे प्रभावों को घर से दूर रखने के लिए भी मनाया जात है | यह त्यौहार सावन महा के आमावास्या के दिन मनाया जाता है जिस वजह से इसे हरेली आमावास्य या गाँव में इसे भूत प्रेतों का त्योहार भी कहते है क्यों कि माना जाता है कि इस दिन बुरे आत्माओं कि ताकत बढ़ जाती है इस लिए गाँव के बुजुर्ग घर के बच्चों को घर से जादा देर बहार न घुमने कि सलाह देते है खैर यह सब मात्र एक अंधविश्वास है | 



हरेली त्यौहार के कई जरुरी महत्व है जो किसानों के लिए सावन के मौसम में फसलों को समर्पित होता है साथ ही यह त्यौहार किसानो का सब से सच्चे मित्र गाय, बैल जिसके बिना एक किसान खुद को अधुरा मानता है उसेके सेहत के लिए भी इसमें पूजा कि जाता है | इसके अलावा किसान अपने घर में रखे जितने भी औजार या लोहे कि उपकरण जो खेती किसानी में उपयोग किये जाते है उसकी भी पूजा करते है |
आइये जानते व समझते है कि आज हरेली त्यौहार के दिन किसान' सुबह से किन रस्मों के जरिये पूजा को संपन्न करते है |-----


हरेली त्यौहार के दिन सब से पहले घर का मुख्या या पुरुष खेतों में जा कर कुछ कीड़े मकोड़ों को एक पत्ते ( दोना पत्तल ) में रख कर खेत से दूर सड़क पर छोड़ देता है जिसे सहुरेई कहा जाता है  इसके पीछे का कारण यह है कि अब खेतों में उने वापिस नहीं आना है जिसे किसान के फसल खराब ना हो और फसल अच्छे से पनपे यह कार्य सुबह-सुबह ( पाहती ) उठ कर किया जाता है |


इस के बाद जो किया जाता है वह गायों के सेहत हमेशा सवस्थ रहे इसलिए किया जाता है |  हरेली के एक दिन पहले गाँव के गहिरा समुदाय के लोग ( गायों कि देख भाल करने वाले पालने वाले ) जंगल में जा कर तरह-तरह कि जड़ी बूटी लातें है और उससे गायों के खाने लायक जड़ी बूटियों का मिश्रण त्यार करते है | अब इस दवाई को सुबह एक निश्चित समय पर गहिरा समाज के देवताओं के स्थान जिसे सहाड़ा देवता कहा जाता है | वहा ले जाया जाता है और वहा किसान आते है और दो-दो आटे कि बनी लोइयां लाते है और सहाड़ा देवता को भेट स्वरूप चढ़ाते है उसके बाद वे अपने गायों के लिए जड़ी बूटियों से निर्मित वो औषधियां ले जाते है जिसे घर ले जा कर आटे में ही मिला कर घर के गाय-बैलों को खिलाया जाता है | 



इस भीच महिलाए घर पर तरह तरह के पकवान बनाती है जिसमे मुख्य रूप से चावल के आटे से बनी रोटी जिसे छत्तीसगढ़ी में चिला रोटी कहते है जिसे गुड़ के मिटास के साथ तयार किया जाता है ख़ास इस दिन के लिए इसके अलावा बड़ा, भजिया, फरहा रोटी व पुड़ी जैसे पकवान भी बनाए जातें है |


चिला रोटी

गुलूला भजिया

फरहा रोटी



गायों को खिलाने के बाद घर के सभी पुरुष खेती किसानी के औजारों को जैसे हल, नांगर, कुदाली, टंगिया आदि को लेकर तालाब या नदी नहाने जाते है जहा वे उन सभी औजारों को साफ़ करते धोते है | उसके बाद वे घर आते है जहाँ इन औज़ारों को घर के किसी पवित्र स्थान पर रख कर पूजा अर्चना कीया जाता हैै पूजा में मुख्य रूप से चिला रोटी का उपयोग होता है साथ ही चावल के आटे का या गेहू के आटे से घोल बना कर इन इन औजारों में चढ़ाया जाता है | साथ ही धुप आगरबत्ती जला कर, नारियल फोड़ कर, टिका लगा कर पूजा समाप्त किया जाता है |





इन सब के भीच गाँव के देव-धामी कि पूजा करने वाले सेवा करने वाले बैगा समुदाय के लोग हर घर जा कर नीम के पत्तो को घर के दरवाजो पर टांगते जाते है | इन नीम के पत्तों को घर के बहार लगाने का कारण यह है कि नीम का पत्ता देवी माता का प्रतीक होती है जिससे घर में किसी प्रकार कि बुरी आत्मा या प्रेतों को दूर रखने में साहयता मिलती है  या खुद देवी माँ का किसी प्रकार से कोई प्रकोप न हो | यह गाँव वालो कि मान्यता है यह एक प्रकार से अंधविश्वास है | पर नीम अपने आप में ही एक जड़ी बूटी है जो सावन के इस मौसम में तरह तरह के कीटाणुओं व बिमारियों को दूर रखने में सक्षम है जिस का एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी बनता है | 






सब से मज़े कि बात इस त्यौहार में जो है वो मुझे बहुत जादा पसंद है याने बच्चे क्या करते है ? बच्चे गेड़ी चलाते है अब यह गेड़ी क्या है ? समझ लो गेड़ी लकड़ी से बना पैर है निचे आप तस्वीर में देख सकते है | बच्चे सुबह से इससे बनाने में लगे रहते है कोई छोटा बनाता है कोई उचा बनाता है इसमें दोनों पैरों से चढ़ कर चलाया जाता है | बच्चे गाँव भर इसे लिए घुमते हैं या कहो इस पर घुमते है |





तो यह था हमारे छत्तीसगढ़ का एक अनोखा त्यौहार जिसे बड़ी धूम धाम से इस बार बघेल सरकार भी माना रही है तभी तो आज इस दिन सरकारी छुट्टी का ऐलान किया गया है | और सभी सरकारी महकमों को भी इस त्यौहार को मानने के लिए कहा गया है |  अगर आप को हरेली त्यौहार से संबंधित कोई भी जानकारी पता हो तो अहमे कमेंट कर जरुर बताएं |

तो संगवारी हो जय जोहार हरेली के आप मन ला गड़ा गड़ा बधाई 💚



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