प्याज-आलू की महंगाई पर नियंत्रण सरकार के बस में है

 प्याज-आलू की महंगाई पर नियंत्रण सरकार के बस में है




पिछले कई वर्षों में जिस तरह से आलू, प्याज की कीमतें बढ़ी हैं वह बेहद चिंतनीय है। जिस आलू को सब्जी का राजा कहा जाता है वह आज 40 रुपये से 60 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। जब आलू को सब्जियों का राजा कहा गया होगा तब शायद इस बात के लिए भी कहा गया होगा क्योंकि आलू सभी सब्जियों में सेट होने के साथ-साथ कम कीमत पर उपलब्ध होने वाली सब्जियों में शामिल रहा होगा। पांच वर्ष पीछे जाने पर हमें याद नहीं आता कि प्याज की कीमत चालीस रुपये के पार कब पहुंची थी लेकिन आज प्याज का चालीस-पचास रुपये प्रति किलो बिकना एक सामान्य सी बात हो चुकी है।

यदि हम आंकड़ों की जादूगरी पर नज़र डालें तो पाएंगे कि यदि प्याज की पैदावार में पांच फीसदी की गिरावट आती है लेकिन कीमतों में पांच सौ फीसदी की बढ़ोतरी होती है। इसके पीछे एक प्रमुख कारण प्याज का मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हाथों में केंद्रित हो जाना है। वे मुट्ठीभर व्यापारी या पूंजीपति उसकी कीमत नियंत्रित करते हैं। दूसरी ओर इसी का शिकार आम किसान भी होता है। जब किसानों के खेतों में प्याज की पैदावार हो जाती है तो उनकी प्याज पांच, आठ, बारह रुपये किलो बिकती है लेकिन वही प्याज आउट सीजन में व्यापारी चालीस, पचास से लेकर सौ रुपये प्रति किलो तक बेचते हैं।




सरकारी वेबसाइट के अनुसार सितंबर माह में एशिया की सबसे बड़ी लासलगांव की मंडी में 38.84 फीसदी प्याज की ज्यादा आवक हुई है। पूरे महाराष्ट्र में 53.17 फीसदी प्याज की ज्यादा आवक हुई है। यानी महाराष्ट्र की मंडियों में 19.23 लाख कुंटल अधिक प्याज की आवक हुई है। फिर भी क्या कारण है कि कीमतें बढ़ जाती हैं? जो भी कारण हों लेकिन यह सरकारी नियंत्रण से बाहर का विषय नहीं है। प्याज के समान ही आलू की कीमतें भी कुछ इन्हीं कारणों से बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आलू की पैदावार होती है और इस समय जब आलू की कीमत आसमान छू रही तो उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में 30.56 लाख टन आलू जमा है।

कोल्ड स्टोरेज में किसान और व्यापारी सभी आलू जमा कर सकते हैं लेकिन कृषि जानकारों का मानना है कि कोल्ड स्टोरेज में किसानों के ज्यादा से ज्यादा पन्द्रह फीसदी आलू जमा होते हैं बाकी सब व्यापारियों का आलू जमा होता है। व्यापारी जब चाहते हैं तब बाहर निकालते हैं और उसी अनुसार मार्केट में उपलब्धता और अनुपलब्धता के आधार पर कीमतें नियंत्रित करते हैं। यदि सरकार चाहे तो व्यापारियों पर नियन्त्र रखते हुए उपभोक्ताओं को महंगाई से छुटकारा दिला सकती है। कोरोना संकट के दौरान आम उपभोक्ता आज महंगाई की मार झेल रहा है। सरकार को चाहिए कोल्ड स्टोरों पर औचक छापेमारी करे और जमाखोरों द्वारा जमा की गई सीमा से अधिक प्याज, आलू, दाल जैसी मूलभूत जरूरत की चीजों को अपने कब्जे में लेकर, उसकी उपलब्धता आम जनता तक सुनिश्चित करे।

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