भारत में रेडियो का इतिहास | History of Radio in India in Hindi |Radio history in India in Hindi |

भारत में रेडियो का इतिहास 

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भारत में रेडियो का चलन बरसों पुराना है. प्राचीन समय में रेडियो एक ऐसा यंत्र था, जिसे लोग बहुत सी चाव से सुना करते थे. क्योकि इसके माध्यम से लोगों तक देश और दुनिया की खबरें पहुंचाई जाती थी. साथ ही यह उस समय के लोगों के लिए मनोरंजन का साधन भी था. आज के समय में भी यह रेडियो लोगों के जीवन का एक हिस्सा बना हुआ है. इसके चलते मन की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित रेडियो शो भी सन 2014 से शुरू हुआ है, जिसमें लोग मोदी जी के वचनों को सुनते है |

भारत में रेडियो का इतिहास (History of Radio in India in Hindi) 

भारत में रेडियो को सबसे पहले मद्रस प्रेसीडेंसी क्लब 1924 में लेकर आया था. क्लब ने 3 साल रेडियो प्रसारण पर काम किया था, लेकिन आर्थिक मुश्किल के चलते 1927 में क्लब ने इसे बंद कर दिया था. इसी साल 1927 में कुछ बोम्बे के व्यापारियों ने भारतीय प्रसारण कंपनी को बोम्बे और कलकत्ता में शुरू किया. ये कंपनी भी 1930 में फ़ैल हो गई और फिर 1932 में भारत सरकार ने इसकी बागडोर अपने हाथों में ले ली और एक अलग से भारतीय प्रसारण सेवा नाम का विभाग आरम्भ कर दिया. 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (AIR) रख दिया गया, जिसे संचार विभाग देखा करता था. AIR को नियंत्रित निर्देशक जनरल करता था, जिसे उप निर्देशक और मुख्य अभियंता मिल कर सहायता करते थे |

भारत में रेडियो प्रसारण एक राष्ट्रीय सेवा थी, जिसे भारत सरकार द्वारा बनाया गया था और इसे संचालित किया जाता था. AIR ने इस सेवा को आगे बढाया और पुरे देश में रेडियो प्रसारण के लिए स्टेशन बनवाए. एक बड़े देश के लिए इतनी बड़ी राष्ट्रीय सेवा को देश के हर कोने तक पहूँचाना मुश्किल था, तो इस मुश्किल को दूर करने के लिए स्वतंत्रता के बाद AIR ने अपने अलग – 2 विभाग बना लिए. 1957 में ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर ‘आकाशवाणी’ रख दिया गया, जिसे प्रसारण और सूचना मंत्रालय देखने लगा. स्वतंत्रता के समय देश में सिर्फ 6 रेडियो स्टेशन हुआ करते थे, लेकिन 90 के दशक तक रेडियो का नेटवर्क पुरे देश में फ़ैल चूका था और 146 AM स्टेशन बन गए थे. रेडियो के कार्यक्रम अंग्रेजी, हिंदी, क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा में आया करते थे. 1967 में देश में व्यावसायिक रेडियो सेवा आरम्भ हुई. इसकी शुरुआत विविध भारतीय और व्यावसायिक सेवा ने मुंबई मुख्यालय से की. 1990 के मध्य तक देश में प्रसारण के 31 AM और FM स्टेशन बन चुके थे. 1994 में देश को जोड़ने के लिए 85 FM और 73 वेव स्टेशन बनाये गए. सुहाना सफर विथ अन्नू कपूर 98.7 बिग FM (रेडियो शो) रिटेन अपडेट 

 भारत में रेडियो की घरेलू सेवाएं (Radio service in India) 

ऑल इंडिया रेडियो की कई भाषाओँ में सेवाएं थी, प्रत्येक देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत थी. 

विविध भारती : 
विविध भारती, ऑल इंडिया रेडियो की सबसे अच्छी सेवाओं में से एक है. इसका नाम मोटे तौर पर ‘विविध भारतीय’ के रूप में अनुवादित है, और इसे व्यावसायिक प्रसारण सेवा भी कहा जाता है. यह ऑल इंडिया नेटवर्क से व्यावसायिक रूप से सबसे अधिक पहुँच योग्य है भारत के कई बड़े शहरों में लोकप्रिय है. विविध भारती समाचर, फिल्म संगीत और कॉमेडी कार्यक्रमों सहित कई कार्यक्रमों की पेशकश करते हैं. यह प्रत्येक शहर के लिए विभिन्न मध्यम तरंग बैंड आवृत्तियों पर चल रहा है. विविध भारती का इतिहास यहाँ पढ़ें. विविध भारती में प्रसारित होने वाले कुछ कार्यक्रम इस प्रकार हैं- हवा महल 

– रेडियो उपन्यास और नाटकों पर आधारित है. संतोगें की महफ़िल

 – कॉमेडी ऑल इंडिया रेडियो पर बलूची कार्यक्रम : सूत्रों का दावा है कि ऑल इंडिया रेडियो बलूची भाषा में कार्यक्रम तैयार करने के लिए योजना बना रहा है. 

अन्य सेवाएं : 

इसमें दो सेवाएं और हैं पहली प्राइमरी चैनल और राष्ट्रीय चैनल आदि. 

क्षेत्रीय सेवाएं : 

ऑल इंडिया रेडियो ने 5 क्षेत्रीय मुख्यालय बनाए उत्तर ज़ोन का दिल्ली में, पूर्व ज़ोन का कलकत्ता में, उत्तर-पूर्व ज़ोन का गुवाहाटी में, पश्चिम ज़ोन का मुंबई में और दक्षिण ज़ोन का चेन्नई में. इसके अलावा और भी कई स्थानों पर इसके मुख्यालय हैं और प्रत्येक मुख्यालय में अलग-अलग आवृत्ति का प्रसारण होता था, जोकि इस प्रकार हैं

- उत्तरीय क्षेत्रीय सेवाएं : 

इसमें शामिल हैं आगरा, अलमोरा, चैरहरा (बडगम, बडगम ए), दिल्ली (सी, डी और राष्ट्रीय चैनल), डिस्कित, जयपुर ए, जम्मू ए, कारगिल (ए, बी), कोटा, लखनऊ (ए, सी), नजीबाबाद, पदम, रामपुर, तिएसुरु, वाराणसी ए, अजमेर, बर्मेर, श्रीनगर (सी), द्रास, जालंधर (ए, बी), जोधपुर ए, कुपवाड़ा, नौशेरा, पुरी, रोहतक, उदयपुर, सवाई माधोपुर, अल्लाहाबाद, बीकानेर, गोरखपुर, कल्पा (किन्नौर), खालसी, लेह, मथुरा, न्योमा, पिथोरागढ़, शिमला, उत्तरकाशी और रायबरेली आदि. 

उत्तरपूर्वी क्षेत्रीय सेवाएं :

इसमें शामिल हैं अगरतला, शिल्लोंग, गुवाहाटी ए, इम्फाल आदि. पूर्वी क्षेत्रीय सेवाएं : इसमें शामिल हैं भागलपुर, कट्टैक ए, जमशेदपुर, कोलकाता (ए, बी, सी), पटना ए, मुज्जफरपुर (ए बी), चिन्सुराह, दरभंगा, और रांची ए आदि. 

पश्चिमी क्षेत्रीय सेवाएं : 

अहमदाबाद, भोपाल ए, छतरपुर, इंदौर ए, मुंबई (ए, बी, सी), नागपुर (ए, बी), पणजी (ए, बी), राजकोट ए, सोलापुर, औरंगाबाद, छिन्द्वारा, ग्वालियर, जलगाँव, पुणे ए, रत्नागिरी, संगिल आदि. दक्षिण क्षेत्रीय सेवायें : आदिलाबाद, चेन्नई (ए, बी, सी), कोइम्बटोर, हैदराबाद (ए, बी), कोज्हिकोड़े ए, नागेर्कोइल, पोर्ट ब्लेयर, थिरुवानान्थापुरम ए, तिरुचिरापल्ली ए, विजयावारा ए, गौतम, बंगलौर, गुलबर्गा, मदुरई, उधागामंदालम, थ्रीस्सुर, तिरुनेलवेली, विशाखापत्तनम और पांडिचेरी आदि. 

 भारत में रेडियो की बाहरी सेवाएं (All India Radio external services division) 

 भारत के रेडियो को विदेशी भी सुनना पसंद करते थे, जिसके चलते ऑल इंडिया रेडियो के बाहरी सेवा प्रभाग द्वारा वहां भी प्रसारण शुरू कर दिया गया. सन 1994 में लगभग 70 घंटे की खबरें और मनोरंजन कार्यक्रम 32 सॉफ्टवेयर ट्रांसमीटर की मदद से प्रसारित किये जाते थे. अखिल भारतीय रेडियो को बाहरी सेवाएं 27 भाषाओँ में भारत के बाहर प्रसारित होती हैं

 – मुख्य रूप से हाई पावर शॉर्टवेव बैंड प्रसारण के माध्यम से. हालाँकि मध्यम तरंग भी पड़ोसी देशों के लिए उपयोग की जाती है. भाषा के अनुसार विशिष्ट देशों में लक्षित प्रसारण के अतिरिक्त, सामान्य अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के लिए प्रत्येक दिन 8¼ घंटे अंग्रेजी में एक सामान्य प्रवासी सेवा प्रसारण होता है. 1 अक्टूबर 1939 को ब्रिटिश सरकार ने अफ़गान लोगों पर निर्देशित नाजियों के प्रचार का मुकाबला करने के लिए बाहरी प्रसारण शुरू किया था. बाहरी सेवाओं को 16 विदेशी और 11 भारतीय भाषाओँ में प्रसारित किया गया, जिसमे मध्यम और शॉर्टवेव आवृत्तियों पर प्रतिदिन 70¼ घंटे का कार्यक्रम था. 

 इसके अलावा आधुनिक समय में और भी कई सेवाएं चालू हुई हैं. जिनके नाम हैं डिजिटल रेडियो मोंडायल (DRM), फ़ोन पर न्यूज़ सेवा, प्रत्यक्ष टू होम सेवा, डाक्यूमेंट्री, सेंट्रल ड्रामा यूनिट, सोशल मीडिया सेल आदि. भारत में रेडियो सुनने वालों की तदात (Radio listeners in India) सन 1970 से 94 तक रेडियो श्रोताओं की संख्या 5 गुना तक बढ़ गई थी. शुरुआत में रेडियो श्रोताओं का ये आकड़ा 14 लाख था, लेकिन बाद में सबको चौकाते हुए ये आकड़ा 65 लाख तक पहुँच गया था. भारत में स्वतंत्रता के बाद रेडियो लोगों तक कोई बात पहूँचाने और उनसे जुड़ने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन गया था. उस समय लोगों से जुड़ने का कोई और माध्यम हुआ भी नहीं करता था.

देश – विदेश से जुड़ी सभी खबरें रेडियो के माध्यम से लोगों तक पहूँचाई जाती थी, जिसमें भारतीय रेडियो एक बहुत बड़ी भूमिका अदा किया करता था. वह देश के लोगों को एक सूत्र में बांधे रखता था. भारत में रेडियो से होने वाले फ़ायदे (Benefits of Radio in India) रेडियो प्रसारण भारत में स्वदेशी था, यह देश के कोने-कोने में कोई सन्देश पहूँचाने का एक बहुत बड़ा माध्यम था. इसके द्वारा देश के किसान विस्तृत रूप से खेती की जानकारी प्राप्त कर सकते थे, मौसम, देश – विदेश से जुड़ी बातें आसानी से देश के लोगों तक पहुंचा सकते थे. ऑल इंडिया रेडियो का मुख्य केंद्र देश की चेतना और एकता को बढ़ाना था. 

रेडियो के कार्यक्रम को बनाते समय राष्ट्रीय राजनैतिक एकता बनाये रखना, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता था. स्वतंत्रता के बाद जब देश की राजनीती में घमासान मचा हुआ था, तब ऐसे कार्यक्रम देश के लोगों को सही राह दिखाते थे. ऑल इंडिया रेडियो ने देश की आर्थिक स्थिती सुधारने में एक मुख्य भूमिका निभाई थी. भारतीय रेडियो में मुख्य रूप से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे, जो सामाजिक एकता को बढ़ाने के लिए अग्रसर होते थे. रेडियो के द्वारा देश के लोगों को आधुनिकता और नए तरीके के बारे में भी बताया जाता था. कुछ समय बाद इस देश के इस आधुनिकरण ने टेलेविज़न की जगह ले ली और प्रसारण के नए मायने हो गए, लेकिन इसके बावजूद रेडियो देश का एक अनुभवी माध्यम हुआ करता था. ज्ञान, मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रम और गानों को रेडियो में सुनना तब भी लोग पसंद किया करते थे. आकाशवाणी और ऑल इंडिया रेडियो आज भी एक बड़े नेटवर्क के रूप में पूरी पृथ्वी पर छाए हुए है |

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